नागवासुकी के दर्शन बिना अधूरी मानी जाती है तीर्थराज की यात्रा

नागवासुकी के दर्शन बिना अधूरी मानी जाती है तीर्थराज की यात्रा

Oct 29, 2024 - 11:11
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नागवासुकी के दर्शन बिना अधूरी मानी जाती है तीर्थराज की यात्रा

 महाकुंभ को दिव्य, भव्य और नव्य रूप देने के लिए यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों को सजाने संवारने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इसी के मद्देनजर दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन को लेकर पौराणिक मान्यता वाले नागवासुकी मंदिर को राजस्थानी लाल पत्थरों से सजाने संवारने का काम चल रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप यहां सौंदर्यीकरण के काम को अंतिम रूप देने के लिए महाकुंभ मेला क्षेत्र में अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम दिन रात काम में जुटी है। प्रदेश सरकार 4.76 करोड़ रुपए से नागवासुकी मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम करा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागवासुकी मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम हर हाल में 15 दिसंबर तक पूरा कर लेने का निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ में समुद्र मंथन करने वाले नागवासुकी के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष दूर हो जाता है।

 इसलिए खास हैं राजस्थानी लाल पत्थर 
राजस्थानी लाल पत्थर अपनी खूबसूरती एवं गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। ये पत्थर न तो जल्दी ठंडे होते हैं और न ही गर्म। इन पर पानी गिरने के बाद और निखार आ जाता है। इस पत्थर पर नक्काशी करना आसान होता है। इसीलिए यहां राजस्थानी लाल पत्थर का इस्तेमाल लिया जा रहा है।

 नागवासुकी का पौराणिक महत्व 
पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन में देवताओं और राक्षसों ने नागवासुकी के सहयोग से ही समुद्र मंथन किया था। नागवासुकी को सुमेरु पर्वत में लपेटकर उनका प्रयोग रस्सी के तौर पर किया गया था। 
यहां प्राचीन नागवासुकी मंदिर के पुजारी पंडित श्याम बिहारी मिश्र के अनुसार समुद्र मंथन के बाद नागराज वासुकी लहूलुहान हो गए थे। भगवान विष्णु के कहने पर उन्होंने प्रयागराज में इसी जगह आराम किया था। इसी वजह से नागवासुकी मंदिर में श्रद्धालु दर्शन पूजन करते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि नागवासुकी के दर्शन के बिना तीर्थराज प्रयाग की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

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