नौ खातों में आठ छिपाए.. करोड़ों का विदेशी लेन-देन, सोनम वांगचुक पर अब ED-CBI कसेगी शिकंजा
नई दिल्ली। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की विदेशी फंडिंग के जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उनसे करोड़ों की फंडिंग, खातों को छिपाने के मामले में उनकी नीयत और लद्दाख में हालात बिगाड़ने की साजिश के सूत्र जुड़ते दिख रहे हैं। केंद्र सरकार ने वित्तीय अनियमितताओं के चलते वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है। दान और आंदोलन के नाम पर जुटाई गई रकम गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) से निकलकर निजी कंपनी में पहुंची, और वहां से सीधे निजी खातों व विदेशों तक। वांगचुक दावा जनहित का करते रहे हैं, पर हकीकत में पैसों का खेल सामने आया है। सीबीआई दो माह से एफसीआरए उल्लंघन मामले की जांच कर रही है।
सबसे पहले बात सोनम वांगचुक की संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट्स ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचआईएएल) की करते हैं। दस्तावेज बताते हैं कि इस संस्था को 2023-24 में करीब 6 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, पर अगले ही साल यह रकम बढ़कर 15 करोड़ से भी ज्यादा हो गई। मतलब एक साल में दान दोगुना। यहीं नहीं, संस्था के पास सात बैंक खाते पाए गए, लेकिन इनमें से चार की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। यही नहीं, एचआईएएल ने बिना एफसीआरए पंजीकरण कराए ही डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी चंदा लिया जो कानून का सीधा उल्लंघन है। आरोप है कि इसी एनजीओ से 6.5 करोड़ रुपये सीधे शेश्योन इनोवेशन्स प्रा.लि. नाम की निजी कंपनी के खाते में भेजे गए। शेश्योन इनोवेशन्स में सोनम वांगचुक और गीतांजलि जेबी डायरेक्टर हैं। 2023-24 में कंपनी का कुल लाभ 6.13% था। 2024-25 में कारोबार बढ़कर करीब 9.85 करोड़ रुपये हो गया, पर मुनाफा घटकर सिर्फ 1.14 फीसदी रह गया। यानी टर्नओवर तो बढ़ा, लेकिन मुनाफा गायब। जांच एजेंसियों को शक है कि मुनाफे का पैसा दबाने का खेल किया गया। इतना ही नहीं, कंपनी के तीन खातों में से दो को छुपा लिया गया। एनजीओ से ट्रांसफर हुए 6.5 करोड़ रुपये इन्हीं खातों में पहुंचे थे। वांगचुक की पुरानी संस्था स्टूडेंट्स एजूकेशनल एंड कल्चर मूवमेंट आफ लद्दाख के नाम पर कुल नौ बैंक खाते हैं, पर इनमें से छह का जिक्र नहीं किया गया। यानी यहां भी परदेदारी है। अब सच्चाई सामने आ रही है।
सामने से कॉरपोरेट का विरोध किया, पीछे से उनसे पैसे लिए
सबसे दिलचस्प बात कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड (सीएसआर) की है। वांगचुक हर जगह कॉरपोरेट सेक्टर को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं, लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि उनकी संस्थाओं ने बड़े-बड़े कॉरपोरेट्स और सरकारी पीएसयू से भारी-भरकम सीएसआर फंड लिया। सामने से कॉरपोरेट विरोध और पीछे से उन्हीं से अनुदान का घी कंबल ओढ़कर पिया गया।
नौ निजी खातों में आठ छिपाए करोड़ों का विदेशी लेन-देन
जांच एजेंसियों ने सोनम वांगचुक के निजी खातों को भी खंगाला तो रिकॉर्ड चौंकाने वाले आया। वांगचुक के पास कुल नौ व्यक्तिगत बैंक खाते हैं। इनमें से आठ छिपाए गए। 2018 से 2024 के बीच इन खातों में 1.68 करोड़ रुपये की विदेशी रकम आई। साल 2021 से मार्च 2024 तक वांगचुक ने अपने निजी खातों से 2.3 करोड़ रुपये विदेश भी भेजे। यह पैसा किन संस्थाओं या व्यक्तियों को गया, इसका कोई साफ रिकॉर्ड नहीं है। इससे हवाला के शक पुख्ता होते हैं।
एफसीआरए की धारा 11 व 17 का स्पष्ट उल्लंघन, धोखाधड़ी से जुड़े अपराध भी
जांच एजेंसी को एफसीआरए की धारा 11 और 17 का उल्लंघन साफ दिख रहा है। कंपनी अधिनियम की शर्तों की अनदेखी और भारतीय दंड संहिता की धारा 467 यानी फर्जी दस्तावेज और धोखाधड़ी से जुड़े अपराध भी जुड़ गए। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने वांगचुक पर शिकंजा कसते हुए उनके एनजीओ का एफसीआरए रद्द कर दिया है। अब वांगचुक की संस्थाएं विदेश से वित्तीय लेन-देन नहीं कर सकेंगी। आने वाले समय में सीबीआई और ईडी का शिकंजा भी सोनम वांगचुक पर कसना तय है।
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