भगवान बुद्ध के अवशेषों को लेकर भारत से रूस के एलिस्ता पहुँचा प्रतिनिधिमण्डल

Oct 12, 2025 - 03:07
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भगवान बुद्ध के अवशेषों को लेकर भारत से रूस के एलिस्ता पहुँचा प्रतिनिधिमण्डल

ताज हिन्द संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य  प्रतिनिधिमण्डल  के साथ भगवान बुद्ध के अवशेषों को लेकर रूस के काल्मिकिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता पहुँचे,जहाँ उनको प्रदर्शित किया जाएगा। वहां पर उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में गये प्रतिनिधिमंडल सहित पवित्र अवशेषों का स्वागत काल्मिकिया गणराज्य के प्रमुख महामहिम श्री बातू सर्जेयेविच खासिकोव, भारत के राजदूत @vkumar काल्मिक जनता के उच्च धर्मगुरु शाजिन लामा तथा अन्य भिक्षुगण एवं गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया।

ज्ञातव्य है कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बीती रात  दिल्ली से  काल्मीकिया के लिए
प्रस्थान किये। रूस के काल्मीकिया गणराज्य के प्रस्थान से पूर्व पालम एयरपोर्ट पर  उप मुख्यमंत्री जी द्वारा पूज्य भिक्षुगणों के साथ भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषो का पूजन किया गया।
 इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे जीवन का यह सौभाग्यशाली क्षण है, जब  भगवान तथागत बुद्ध के पवित्र अवशेषो को लेकर रूस ( काल्मीकिया), जहां एक तरह से यूरोप का सबसे बड़ा भगवान तथागत बुद्ध का मंदिर है, वहां बहुत वरिष्ठ भिक्षुगणों के साथ जाने का मौका मिला है। इसके लिए उप मुख्यमंत्री श्री मौर्य  ने  मा0प्रधानमंत्री  श्री नरेन्द्र मोदी जी को हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया। और कहा यह अवशेष  उत्तर प्रदेश के पिपरहवा से हैं, जो कपिलवस्तु की राजधानी हुआ करती थी और उसी में प्राप्त हुए, जिनका एक बहुत लम्बा इतिहास है और जिस दिन यह अवशेष हांगकांग से वापस प्राप्त हुए थे, उसी दिन माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसे गर्व का दिन कहा था और जब से इस देश की बागडोर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र  मोदी जी ने संभाला है, तब से चाहे संयुक्त राष्ट्र संघ का मंच हो या दुनिया के अन्य कोई ऐसे देश हो, जहां उनका जाना हुआ है और भगवान तथागत बुद्ध के अनुयाई रहे हैं,उनके भक्त रहे हैं उनके बीच में उन्होंने जाकर के और वहां को जाना भी है।
कहा कि निश्चित तौरपर भारत और रूस का गहरा राजनीतिक संबंध है, आज से नहीं है बहुत पुराना संबंध है और हर समय जब भारत को जरूरत पड़ी तो रूस भारत के साथ खड़ा रहा और जब रूस को जरूरत पड़ी तो भारत रूस के साथ खड़ा रहा और यह एक अलग प्रकार से बल प्रदान करने वाला होगा।

पवित्र अवशेषों के प्रदर्शनी के महत्व की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि इससे द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के साथ सांस्कृतिक व राजनैतिक रिश्तों में और गहराई आएगी तथा सभ्यतागत विरासत को पुनः स्थापित करना व भारत को बौद्ध धर्म की जन्मभूमि व परम्परा का संरक्षक स्थापित करना है। यही नहीं इससे वैश्विक शांति व सद्भाव का वातावरण मजबूत करना है और भगवान बुद्ध के संदेश करुणा, शांति व अहिंसा को विश्वभर में प्रसारित करना है। बताया कि भगवान बुद्ध के कपिलवस्तु अवशेष पीपरहवा (उत्तर प्रदेश )से प्राप्त हुए जिसे  प्राचीन कपिलवस्तु नगरी से जोड़ा जाता है, यह अवशेष पुरातात्विक रूप से प्रमाणित हैं और  वैश्विक बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत पूज्यनीय धरोहर हैं। यह भगवान बुद्ध के जीवन से प्रत्यक्ष जुड़ाव का प्रतीक हैं। और जब भगवान तथागत बुद्ध को लेकर जाते हैं तो दुनिया को शांति के संदेश देने वाले, दुनिया को एक सही रास्ते पर लाने वाले यह कार्य तब संभव हुये हैं जब देश की बागडोर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के हाथों में  है।

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